मराठा काल में छत्तीसगढ़ की यातायात व्यवस्था
मराठा काल में छत्तीसगढ़ की यातायात व्यवस्था
यातायात मराठा एवं पूर्व काल में यातायात की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी. अंचल के प्रमुख स्थलों को जोड़ने हेतु मार्ग नहीं थे, जो सड़कें थीं उनका रखरखाव नहीं होता था. साथ ही मार्ग सुरक्षित नहीं थे. अंग्रेजों ने यातायात एवं परिवहन को अधिक महत्व दिया, क्योंकि वे जानते थे कृषि, व्यापार एवं प्रशासनिक विकास के लिए यातायात के साधन प्रथम आवश्यकता है. अंग्रेजों ने अपने नियंत्रण काल (1818-30 ई.) में ही इस दिशा में सार्थक प्रयास अपने व्यापारिक हित की दृष्टि से किया. रायपुर नागपुर सड़क कार्य योजना को इस काल में एगन्यू द्वारा क्रियान्वित किया गया. सड़कों की देखभाल हेतु कैप्टन फारेस्टर की नियुक्ति की गई थी.
नागपुर-रायपुर सड़क निर्माण कार्य हेतु कैप्टन ब्लेक और उसके सहयोगी मि. फिटरोज को नियुक्त किया गया था. नदियों पर पुल आदि का निर्माण अंग्रेजों के द्वारा ही आरम्भ हुआ. सड़कों की मरम्मत का कार्य ठेकेदारों द्वारा करवाया जाता था, जबकि कार्यों पर अधिकारियों का पूर्ण नियंत्रण होता था. 1854 ई. के पूर्व यहाँ बैलगाड़ी, भैंसागाड़ी, पालकी और घोड़ों से यात्रा की जाती थी. सड़कों का निर्माण प्रांतीय सरकारों द्वारा किया जाता था इसके लिए केन्द्रीय सरकार से भी धन प्राप्त होता था. कभी कभी व्यापारियों एवं जमींदारों से भी चन्दा लिया जाता था.
मुख्य सड़कों के रख-रखाव का उत्तरदायित्व मिलिटरी बोर्ड पर था, किन्तु 1854 ई. में इस हेतु पृथक् लोक कार्य विभाग स्थापित किया गया. अब इस विभाग के द्वारा सड़कों की मरम्मत एवं नए सड़कों का निर्माण व्यवस्थित एवं बेहतर ढंग से होने लगा, 1862 ई. में देश की महत्वपूर्ण सड़क ‘ग्रेट ईस्टर्न मार्ग’ (आरम्भ में नागपुर से संबलपुर तक) पूर्ण हुई. लाई कर्जन के काल तक छत्तीसगढ़ की सभी सड़कें जी. ई. रोड से जुड़ गई.
साथ ही रायपुर से सिंरोच (240 किमी), रायपुर से चांदा, बस्तर से भद्राचलम् तक और रायपुर से कालाहांडी तक मार्ग ब्रिटिश काल में बनाये गये. बिलासपुर जिले में 1896 ई. में दो प्रमुख सड़कें (1) धमरजयगढ़-खरसिया मार्ग, (2) जशपुर नगर-रांची मार्ग बनाई गयी. रायपुर से महत्वपूर्ण मार्ग (1) रायपुर-जगदलपुर, (2) भोपालपट्टनम् सुकमा (वस्तर में) आदि बनाई गयी. 1905 ई. में सरगुजा के मध्यप्रांत में विलय के साथ अंबिकापुर को विलासपुर से जोड़ा गया.
यातायात एवं संचार व्यवस्था की इस सुविधा के कारण छत्तीसगढ़ नवीन हलचल का केन्द्र बन गया.
इसे भी पढ़े : छत्तीसगढ़ में विनिमय