छत्तीसगढ़ में तहसीलदारी व्यवस्था का आरम्भ
छत्तीसगढ़ में तहसीलदारी व्यवस्था का आरम्भ
छत्तीसगढ़ में डिप्टी कमिश्नर ने प्रथम प्रशासकीय परिवर्तन के रूप में यहाँ तहसीलदारी- व्यवस्था का सूत्रपात किया. छत्तीसगढ़ जिले में तीन तहसीलों का निर्माण किया गया रायपुर, धमतरी और रतनपुर. प्रत्येक तहसील मुख्यालय में एक-एक तहसीलदार रखा गया, जो उस क्षेत्र का प्रमुख अधिकारी था, जो डिप्टी कमिश्नर के निर्देशानुसार कार्य करता था. यह पद भारतीयों के लिए नियत था.
छत्तीसगढ़ के परगनों का नये सिरे से पुनर्गठन किया गया. अब प्रत्येक परगने में कमाविसदार के स्थान पर नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया. यह पद भी भारतीयों के लिए सुरक्षित था. तहसीलदार और नायब तहसीलदार का वेतन क्रमशः ₹150 और 150 प्रतिमाह था. प्रत्येक तहसील मुख्यालय में जो प्रमुख कर्मचारी होते थे. उनसे एक तहसीलदार, एक नायब तहसीलदार, एक सिया नवीस, कानूनगो और मोहर्रिर होते थे, |
फरवरी, 1857 ई. में छत्तीसगढ़ के तहसीलों को पुनर्गठित कर उनकी संख्या बढ़ाकर पाँच कर दी गयी. जिनके नाम थे रायपुर, धमतरी, धमधा, नवागढ़ और रतनपुर. इसके आठ माह बाद ही तहसीलों का दूसरी बार पुनर्गठन किया गया, जिसके अनुसार धमधा के स्थान पर दुर्ग को नया तहसील मुख्यालय बनाया गया. यह परिवर्तन दुर्ग की स्थिति, वहाँ उपलब्ध सुविधाएँ और रायपुर से उसकी दूरी को ध्यान में रखकर किया गया,