तारापुर विद्रोह (1842-54 ई.)
तारापुर विद्रोह (1842-54 ई.)
बस्तर के राजा ने नागपुर सरकार के आदेश पर तारापुर परगने की टकोली बढ़ा दी थी, जिसका तारापुर के गवर्नर दलगंजनसिंह ने विरोध किया था. जब दलगंजनसिंह पर नागपुर सरकार का दबाव बढ़ा, तो उन्होंने टकोली बढ़ाकर जनता के लूट की स्वीकृति के बजाय तारापुर छोड़ देने की ठानी और जैपुर चले जाने का निश्चय किया.
आदिवासियों ने उनसे आग्रह किया कि वे तारापुर न छोड़ें और आंग्ल मराठा शासन के खिलाफ बगावत कर दें.