मध्य प्रांत का गठन
मध्य प्रांत का गठन
प्रशासनिक सुविधा के दृष्टिगत 2 नवम्बर, 1861 ई. को नागपुर और उसके अधीनस्थ क्षेत्रों को मिलाकर एक केन्द्रीय क्षेत्र का गठन किया गया, जिसे ‘मध्य प्रांत’ का नाम दिया गया जिसका संगठन अग्रानुसार था-
(1) नागपुर राज्य के क्षेत्र
इसमें तीन संभाग व दस जिले इस प्रकार थे-
(अ) नागपुर संभाग –
नागपुर, वर्धा, भण्डारा व चांदा जिले,
(ब) रायपुर संभाग-
रायपुर, विलासपुर, संबलपुर जिले,
(स) गोदावरी तालुक संभाग –
गोदावरी तालुक अपर गोदावरी व बस्तर जिले.
(2) सागर नर्मदा क्षेत्र
यह नागपुर राज्य का अधीनस्थ क्षेत्र था. इसमें दो संभाग एवं सात जिले इस प्रकार थे-
(अ) सागर संभाग –
सागर, दमोह, होशंगाबाद ब बैतूल जिले.
(ब) जबलपुर संभाग –
जबलपुर, मंडला व सिवनी जिले.
मध्य प्रांत का मुख्यालय नागपुर रखा गया जहाँ चीफ कमिश्नर या प्रमुख संभागायुक्त नामक अधिकारी को गवर्नर जनरल के एजेन्ट के रूप में नागपुर राज्य के शासन संचालन का भार सौंपा गया तथा प्रत्येक संभाग के संभागायुक्त इसके अधीन रखे गए.