डॉ. खूबचन्द बघेल
डॉ. खूबचन्द बघेल
इनका जन्म रायपुर जिले के पथरी ग्राम में 19 जुलाई, 1900 को एक किसान परिवार में हुआ था. कमल कीचड़ में ही खिलता है, वे इसके सटीक प्रमाण हैं.
बाल्यकाल में ही संवेदनशील और विवेकी डॉ. बघेल की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव पथरी में तथा आगे रायपुर में हुई. रायपुर के गवर्नमेंट हाईस्कूल में पं. द्वारिकाप्रसाद मिश्र के सम्पर्क में आए और राजनीति में रुचि लेने लगे. 1918 में मैट्रिक की परीक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पास की. सन् 1920 में कांग्रेस के नागपुर में आयोजित पैंतीसवें अधिवेशन में डॉ. बघेल ने चिकित्सा शिविर में वालिंटियर के रूप में कार्य किया. असहयोग आंदोलन के तहत् डॉ. बघेल भी अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर खादी के प्रचार में लग गये. जेल की सजा हुई और वहाँ से लौटकर आपने रॉबर्टसन मेडिकल कॉलेज, नागपुर से सन् 1925 में चिकित्सा शिक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा सन् 1931 तक असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के पद पर विभिन्न स्थानों में कार्यरत् रहे.

सन् 1931 में सरकारी पद त्याग कर उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश किया. इसके पूर्व अप्रैल 1930 में रायपुर महाकौशल राजनीतिक परिषद् के अधिवेशन में डॉ. बघेल ने भी हिस्सा लिया था, सन् 1931 में डॉ. बघेल रायपुर जिला के डिटेक्टर और बाद में राज्य के आठवें डिटेक्टर नियुक्त हुए. जिला डिटेक्टर पद पर रहते हुये डॉ. बघेल सामाजिक सुधार के प्रति भी जागरूक रहे. सन् 1939 के त्रिपुरी के ऐतिहासिक कांग्रेस अधिवेशन में स्वयंसेवकों के कमाण्डर के रूप में कार्य किया. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत् इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. डॉ. बघेल के साथ उनकी धर्मपत्नी राजकुँवर देवी भी 6 माह के लिये जेल गयी.
रायपुर तहसील से 1946 के कांग्रेस चुनाव में डॉ. बघेल निर्विरोध चुने गए. इस तरह सन् 1946 में डॉ. बघेल को तहसील कांग्रेस कार्यकारिणी के अध्यक्ष और प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य के में मनोनीत किया गया. स्वतंत्रता के बाद उन्हें प्रांतीय शासन ने संसदीय सचिव नियुक्त किया. 1950 में आचार्य कृपलानी के आह्वान पर वे कृषक मजदूर पार्टी में शामिल हो गए. 1951 के आम चुनाव में वे विधान सभा के लिए पार्टी से निर्वाचित हुए. 1962 तक विधान सभा के सदस्य रहे. 1965 में वे राज्य सभा के लिए चुने गए. राजनीति से वे 1968 तक जुड़े रहे. 22 फरवरी, 1969 को उनका देहांत हो गया.