लोककला क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के व्यक्तित्व
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लोककला क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के व्यक्तित्व
महाराजा चक्रधर सिंह:
इनका जन्म 1905 में हुआ था। ये तबला वादक तथा कत्थक नर्तक थे। जिन्होंने नर्तन सर्वस्व की रचना की थी, जिसे कत्थक का प्रथम ग्रन्थ कहा जाता है। इसके अलावा इन्होंने मुरुज पर्ण तथा पुष्कार तथा तलतोयनिधि की भी रचना की थी। वर्तमान छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इनके सम्मान में चक्रधर सम्माम दिया जाता है।
दाऊ दुलार सिंह मंदराजी:
छत्तीसगढ़ी नाचा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले दाऊ दुलार सिंह मंदराजी का जन्म 1910 में राजनांदगांव के रवेली ग्राम में हुआ था। 1928 में राजनांदगांव में छत्तीसगढ़ की पहली संगठित नाचा पार्टी रवेली की स्थापना की।
दाऊ रामचंद्र देशमुख:
छत्तीसगढ़ी लोककला के उद्धारक तथा नाचा के लोकमर्मग कहे जाने वाले रामचंद्र देशमुख का जन्म दुर्ग जिले के बधेल ग्राम में 1913 में हुआ था। इन्होंने 1951 में देहाती कलामंच तथा 1971 में चंदैनी गोन्दा नाट्य पार्टी का गठन किया।
देवदास बंजारे
जन्म : 1 जनवरी 1947 मृत्यु : 26 अगस्त 2005
देवदास बंजारे ( Devdas Banjare ) का जन्म 1 जनवरी 1947 को तत्कालीन रायपुर जिला के धमतरी तहसील के अंतर्गत गांव सांकरा हुआ था। वे एक अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पन्थी नर्तक थे।