छत्तीसगढ़ी भाषा का वर्गीकरण
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छत्तीसगढ़ी भाषा का वर्गीकरण
1.केंद्रीय छत्तीसगढ़ी –
छत्तीसगढ़ी मानक हिंदी के प्रभावों से युक्त है इस पर स्थानीय बोलियों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम पड़ा है इसे ही कुल 18 नामों से जाना जाता है जिनमें कवर्धा कांकेर ई खैरा गिरी बिलासपुरी रतनपुरी रायपूरी धमतरी पारदी बहेलिया बेगानी सतनामी इस समूह में सर्वोपरि मानी गई है छत्तीसगढ़ी।
2.पश्चिमी छत्तीसगढ़ी-
छत्तीसगढ़ी बुंदेली व मराठी का प्रभाव पड़ा है कमारी खलहाटी पनकी मुरारी आदि इन में आती हैं जिनमें सर्वोपरि खल्ताही है।
3.उत्तरी छत्तीसगढ़ी-
इस पर बघेली भोजपुरी और उरांव जनजाति की बोली कुडुख का प्रभाव पड़ा है। इन में कुल 5 नाम शामिल है पन्नों सदरी कोरबा जस पुरी सरगुजिया व नागवंशी इस समूह में सर्वोपरि मानी जाती है. सरगुजिया।
4.पूर्वी छत्तीसगढ़ी-
इस पर उड़िया का व्यापक प्रभाव पड़ा है इसमें कुल 6 नाम शामिल है कलंगा, कलनजिया, बिहारी, भूरिया चर्मशिल्पी, लरिया इसमें प्रमुख लरिया भाषा है।
5.दक्षिणी छत्तीसगढ़ी –
इस पर मराठी उड़िया और गोंडी का प्रभाव पड़ा है जिसमें कुल 9 नाम शामिल है – अद्कुरी चंदारी, जोगी, धाकड़, बस्तरी, मगरी , मिर्गनी और हल्दी। इनमें सर्वोपरि हल्बी है।