छत्तीसगढ़ का महाभारत काल
छत्तीसगढ़ का महाभारत काल
छत्तीसगढ़ का महाभारत काल
महाभारत काल में भी छत्तीसगढ़ प्रांत का उल्लेख मिलता है। महाकवि वेदव्यास ने इस प्रांत को को प्राक् कोसल कहा है। इसके द्वारा बस्तर के अरण्य क्षेत्र को कान्तार कहा है। कर्ण द्वारा की गई दिग्विजय में भी कोशल जनपद का नाम उल्लेख है। महाभारतकालीन ऋषभ तीर्थ की पहचान शक्ति के निकट गुंजी नाम स्थान से की जाती है। उस समय वर्तमान रतनपुर को मणिपुर कहा जाता था। मोरजध्वज मणिपुर का शासक था। अर्जून के पुत्र बभ्रुवाहन की राजधानी चित्रांगपुर वर्तमान में सिरपुर के नाम से जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ का महाभारत काल का महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार से है:
- इस काल में छत्तीसगढ़ को कहा जाता था – प्राक्कोसल
- प्राक्कोसल को सहदेव ने जीता था
- महाभारत काल में बस्तर को कहा जाता था – कान्तार
- राजा नल की विजय यात्रा एवं राजा कर्ण की की विजय यात्रा का प्रमाण हुए है, और शिशुपाल के संदर्भ में भी कोसल का उल्लेख देखने को मिलता है।
- महाभारत काल में मीणपुर जिसे अब रतनपुर कहाँ जाता है जो की इस क्षेत्र का मुख्य केन्द्र रहा था, और मोरध्वज यहाँ का शासक था
- महाभारत काल में सिरपुर जो अब चित्रंगदपुर कहलता था, जिस पर पाण्डुवंशी बभ्रुवाहन का शासन था।
- मनिहारी नदी में कर्ण और अर्जुन की मूर्ति भी मिल चुकी है।
- राजिम के पास उत्खनन से केशी-वध प्रसंग की मूर्ति मिली है। केशी, कंस का अंतिम योद्धा था, उसे कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए भेजा था।