छत्तीसगढ़ के बाण वंश [Baan Dynasty of Chhattisgarh]
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सिरपुर के पाण्डुवंश या सोमवंश
- राजधानी–श्रीपुर (सिरपुर)
- इस वंश की दो शाखा थी
1) मैकल श्रेणी वालो को पाण्डु वंश कहा गया।
2) दक्षिण कोशल वालो को सोम वंश कहा गया।
छत्तीसगढ़ के बाण वंश
छत्तीसगढ़ में पाण्डुवंशी सत्ता की समाप्ति में बाणवंशीय शासकों का भी योग था. कोरबा जिले के ‘पाली’ नामक स्थल में मन्दिर के गर्भगृह के द्वार में उत्कीर्ण लेख से ज्ञात होता है कि इस मन्दिर के गर्भगृह के द्वार में उत्कीर्ण लेख से ज्ञात होता है कि इस मन्दिर का निर्माण महामण्डलेश्वर मल्लदेव के पुत्र विक्रमादित्य द्वारा किया गया था.
विक्रमादित्य को बाणवंश का राजा माना गया है, जिसका काल 870 से 895 ई. माना गया है. बाणवंशी शासकों ने सम्भवतः दक्षिण कोसल के सोमवंशियों को विलासपुर क्षेत्र से हटाया था. कालान्तर में कलचुरि शासक शंकरगण द्वितीय मुग्धतुंग ने इनसे पाली का क्षेत्र जीत लिया और अपने भाइयों को इस क्षेत्र में मण्डलेश्वर बना कर भेजा, जिन्होंने दक्षिण कोसल में कल्चुरि राजवंश की स्थापना की.
सारांश
- राजधानी–पाली ( कोरबा )
- संस्थापक–महामंडलेश्वर मल्ल देव
- इसने पाली के शिव मंदिर का निर्माण करवाया,
- पाली में काल्पनिक पशु का चित्र है जिसका शरीर सिंह तथा सर अन्य जीव का है ।